रिटायर्ड आईएएस अधिकारी करणी सिंह राठौड़ की पहचान |
13 मौतों की पुष्टि: डीएनए जांच से हुआ खुलासा
जयपुर में हुए टैंकर ब्लास्ट मामले में पहले 14 मौतों की सूचना दी गई थी, लेकिन हालिया जांच में 13 मौतें होने की पुष्टि हुई है। यह जानकारी तब सामने आई जब एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) की रिपोर्ट में पाया गया कि दो पोटलियों में रखे गए शवों के अवशेष एक ही व्यक्ति के थे। डीएनए जांच के जरिए इस बात की पुष्टि हुई।
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी करणी सिंह राठौड़ की पहचान
इस हादसे में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सवाई मानसिंह अस्पताल में एक शव की पहचान रिटायर्ड आईएएस अधिकारी करणी सिंह राठौड़ के रूप में की गई। एफएसएल ने उनकी बेटी के डीएनए सैंपल से मिलान के बाद इसकी पुष्टि की। 20 दिसंबर की सुबह करणी सिंह राठौड़ भांकरोटा स्थित कृषि फार्म से जयपुर लौट रहे थे, जब उनकी कार इस भयंकर हादसे का शिकार हो गई।
NHAI की रिपोर्ट: ट्रैफिक डायवर्जन और हाईवे कट की कहानी
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस मामले में अपनी शुरुआती रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हादसे वाली जगह पर मौजूद कट को जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी और ट्रैफिक पुलिस की सहमति के बाद खोला गया था। एनएचएआई के परियोजना निदेशक अजय आर्य ने बताया कि कट को चौड़ा कर 30 मीटर से 10 लेन किया गया था ताकि बड़े वाहन आसानी से मुड़ सकें।
यह कट अजमेर से जयपुर की ओर आने वाले हैवी ट्रैफिक को रिंग रोड पर डायवर्ट करने के लिए खोला गया था। लेकिन क्लोवर लीफ की कमी के कारण यह व्यवस्था की गई, जो हादसे का एक प्रमुख कारण बना।
क्लोवर लीफ निर्माण में देरी पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार से सवाल किया है कि यूटर्न के स्थान पर क्लोवर लीफ का निर्माण क्यों नहीं हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्लोवर लीफ एक विशेष इंटरचेंज होता है जो वाहनों को बिना ट्रैफिक लाइट के सुरक्षित तरीके से मार्ग बदलने की अनुमति देता है। निर्माण में देरी को लेकर संबंधित फर्म को निर्देश दिए गए हैं कि काम को तेजी से पूरा किया जाए।
हादसे की गंभीरता: घायल अभी भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं
20 दिसंबर की सुबह अजमेर से जयपुर की ओर आ रहे एलपीजी टैंकर और ट्रक के बीच हुई भीषण भिड़ंत के बाद टैंकर से गैस लीक हुई और भयंकर विस्फोट हुआ। इस विस्फोट में 13 लोगों की जान चली गई, जिसमें से 5 लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
हादसे में घायल हुए 27 लोगों का इलाज चल रहा है। इनमें से 7 लोग अब भी वेंटिलेटर पर हैं और 25 लोग गंभीर रूप से झुलस चुके हैं। झुलसे लोगों के शरीर का 75 प्रतिशत हिस्सा जल चुका है, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
जयपुर टैंकर ब्लास्ट हादसे ने प्रशासनिक निर्णयों और सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जहां डीएनए जांच और NHAI की रिपोर्ट ने नई जानकारियां दीं, वहीं हाई कोर्ट ने क्लोवर लीफ के निर्माण में देरी पर सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले के हर पहलू पर नजर रखी जा रही है, और इससे जुड़े अपडेट्स जल्द ही सामने आएंगे।
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