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मेलबर्न टेस्ट: तीसरे दिन के तीन चमत्कार, कंगारुओं की हार तय?

मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन भारतीय टीम के लिए ऐसा ऐतिहासिक दिन रहा
मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन भारतीय टीम के लिए ऐसा ऐतिहासिक दिन रहा
मेलबर्न टेस्ट के तीसरे दिन भारतीय टीम के लिए ऐसा ऐतिहासिक दिन रहा, जिसने हार की ओर बढ़ती स्थिति को पलटकर जीत की उम्मीद जगा दी। तीन बड़े चमत्कार हुए, जिन्होंने न केवल मैच का रुख बदला, बल्कि ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर धकेल दिया। आइए जानते हैं कि आखिर इन चमत्कारों ने कैसे टीम इंडिया को नई ऊर्जा दी।

पहला चमत्कार: हार को टाल दिया

मैच के तीसरे दिन भारतीय टीम 191 रनों पर अपने छह महत्वपूर्ण विकेट गंवा चुकी थी। ऋषभ पंत भी 28 रन बनाकर गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट हो चुके थे। ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम 240-250 के स्कोर तक भी नहीं पहुंच पाएगी। फॉलो-ऑन से बचना भी मुश्किल लग रहा था।

लेकिन निचले क्रम में नितीश कुमार रेड्डी और वाशिंगटन सुंदर की जोड़ी ने 127 रनों की अविश्वसनीय साझेदारी कर भारत को संकट से उबार लिया। उनके शानदार प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम ने 358 रन बना लिए। इस साझेदारी ने न केवल हार को टाल दिया, बल्कि भारतीय टीम को मैच में मजबूत स्थिति में ला दिया।

दूसरा चमत्कार: नितीश कुमार रेड्डी का शतकीय हाहाकार

आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए नितीश कुमार रेड्डी ने ऐसी पारी खेली, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने 146 गेंदों में 105 रनों की नाबाद पारी खेली और अपने पहले टेस्ट शतक के साथ इतिहास रच दिया। उनकी इस पारी ने मैदान पर मौजूद दर्शकों को भावुक कर दिया।

जब टीम का स्कोर 220 पर सात विकेट था और सभी उम्मीदें खत्म हो चुकी थीं, तब रेड्डी ने जिम्मेदारी से खेलते हुए भारत का स्कोर 360 तक पहुंचा दिया। उनके पिता, जो दर्शकदीर्घा में मौजूद थे, भावुक हो उठे। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भी उनके प्रदर्शन को सराहा। इस पारी ने भारत को न केवल मैच में वापसी कराई, बल्कि पूरे माहौल को बदलकर रख दिया।

तीसरा चमत्कार: वाशिंगटन सुंदर का प्रहार

वाशिंगटन सुंदर ने नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 50 रनों की बहुमूल्य पारी खेली। उन्होंने नितीश कुमार रेड्डी के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का डटकर सामना किया। उनकी पारी ने टीम को स्थिरता प्रदान की और साझेदारी को मजबूती दी।

221 रनों पर सात विकेट गंवाने के बाद सुंदर और रेड्डी ने टीम को 348 तक पहुंचाया। यह साझेदारी भारतीय क्रिकेट इतिहास में यादगार बन गई। सुंदर का आत्मविश्वास और संयमित प्रदर्शन भारतीय टीम के लिए संजीवनी साबित हुआ।

क्या भारत की जीत तय है?

तीसरे दिन के अंत तक भारतीय टीम 358 रनों पर पहुंच गई थी, और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पलड़ा अब भारत का भारी लग रहा है। यह पलटवार ऑस्ट्रेलियाई टीम के आत्मविश्वास को कमजोर कर चुका है।

अब देखना यह होगा कि भारतीय गेंदबाज इस बढ़त का फायदा कैसे उठाते हैं। लेकिन जो जज्बा टीम इंडिया ने तीसरे दिन दिखाया है, वह ऑस्ट्रेलिया के लिए खतरे की घंटी जरूर है।

आपका क्या मानना है? क्या टीम इंडिया इस ऐतिहासिक टेस्ट को जीत पाएगी? अपनी राय जरूर साझा करें।

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