कैसे हुआ यह हादसा? |
जयपुर-अजमेर नेशनल हाईवे पर शुक्रवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भीषण दुर्घटना में 11 लोगों की मौत हो गई, और 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से झुलस गए। यह घटना एक खतरनाक यूटर्न पर हुई, जो पहले से ही दुर्घटनाओं के लिए बदनाम है। लेकिन इस बार यह त्रासदी केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का जीता-जागता उदाहरण है।
कैसे हुआ यह हादसा?
यह हादसा तब हुआ जब एक एलपीजी टैंकर और केमिकल से भरा ट्रक यूटर्न लेते समय आपस में टकरा गए।
1. एलपीजी टैंकर का नोजल टूटा: टक्कर के बाद टैंकर से गैस लीक होने लगी, और कुछ ही पलों में बड़ा विस्फोट हुआ।
2. डबल डेकर बस: विस्फोट की चपेट में आई बस में 34 यात्री थे। इनमें से 20 लोग बुरी तरह से झुलस गए, और कई की आंखें तक जल गईं।
3. अवैध बस: यह बस बिना परमिट के चल रही थी, क्योंकि इसका परमिट 16 महीने पहले ही समाप्त हो चुका था।
4. आग की भयावहता: धमाके के बाद आग इतनी तेजी से फैली कि डेढ़ से दो किलोमीटर का इलाका एक गैस चेंबर में बदल गया। आसपास की गाड़ियां, पक्षी, और यहां तक कि पैदल चलने वाले भी इसकी चपेट में आ गए।
सरकार की लापरवाही का नतीजा
यह दुर्घटना कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। यह हमारी सरकारी नीतियों और सिस्टम की उदासीनता का परिणाम थी।
रिंग रोड का अधूरा निर्माण:
2016 में वसुंधरा राजे सरकार ने इस रिंग रोड का निर्माण शुरू किया। लेकिन इसे हाईवे के दोनों लेन से जोड़ने का काम अधूरा छोड़ दिया गया।
कांग्रेस सरकार की अनदेखी:
2018 में अशोक गहलोत सरकार ने इस रिंग रोड का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन पांच साल में भी यूटर्न की समस्या को हल नहीं किया गया।
भाजपा सरकार की विफलता:
वर्तमान में बीजेपी की भजनलाल सरकार को भी एक साल हो चुका है, लेकिन अब तक इस खतरनाक यू-टर्न को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
क्या यह सिर्फ हादसा था?
यह घटना महज एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि हमारी सरकारी व्यवस्था की असफलता और उपेक्षा का प्रतीक है।
6 महीने में 14 दुर्घटनाएं:
जिस यूटर्न पर यह घटना हुई, वहां पिछले छह महीने में 14 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
सिस्टम की हत्या:
यह हादसा उन परिवारों की "संरचनात्मक हत्या" है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस लापरवाही के कारण खो दिया।
मानवीय पीड़ा और उपेक्षा
घटना में मारे गए लोगों के शव इतने बुरी तरह झुलस गए हैं कि उनके परिवार अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे।
क्या उनकी जाति, धर्म पूछेगा सिस्टम?
यदि इस हादसे में मरने वालों की जाति या धर्म गिना जाता, तो शायद इस घटना पर भी राजनीतिक बहस होती। लेकिन 11 आम लोगों की मौत पर सरकार और मीडिया चुप है।
सीसीटीवी फुटेज:
हादसे की भयावहता को दिखाने वाले सीसीटीवी वीडियो ने सभी को झकझोर दिया है। लोगों की चीखें, जलती हुई बस, और हवा में उठती आग की लपटें इंसानियत को शर्मसार करती हैं।
आखिरी सवाल: क्या बदलेगा कुछ?
कांग्रेस और बीजेपी, दोनों सरकारें इस हादसे के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। |
यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या इंसानी जानों की कीमत हमारे देश में इतनी सस्ती हो गई है?
कौन जिम्मेदार?
कांग्रेस और बीजेपी, दोनों सरकारें इस हादसे के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं।
क्या समाधान होगा?
जब तक इन घटनाओं पर राजनीति और धर्म की चादर नहीं डाली जाती, तब तक शायद सरकारें इन्हें गंभीरता से नहीं लेंगी।
अब वक्त आ गया है कि हम, एक नागरिक के तौर पर, इन घटनाओं पर आवाज उठाएं। क्योंकि इंसान की जान किसी भी जाति, धर्म, या राजनीति से बढ़कर है।
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