रणजी ट्रॉफी खेलो और टीम इंडिया में जगह पाओ" |
"रणजी ट्रॉफी खेलो और टीम इंडिया में जगह पाओ" – यह बात सुनने में अच्छी लगती है, लेकिन क्या हकीकत में ऐसा होता है?
4 खिलाड़ियों का सन्यास अब जरूरी क्यों है?
रोहित शर्मा
टेस्ट में फ्लॉप, रन बनाना तो दूर, 20 रन का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके।
अब वक्त है कि रोहित खुद को टीम से अलग कर लें।
विराट कोहली
ऑफ स्टंप की गेंदों पर लगातार परेशानी।
क्या अब क्रिकेट सिर्फ अपनी ब्रांड वैल्यू बचाने के लिए खेल रहे हैं?
केएल राहुल
10 साल से टीम में, लेकिन औसत 31-32।
कई मौके मिलने के बावजूद खुद को साबित नहीं कर पाए।
रविंद्र जडेजा
विदेशों में न गेंद से असरदार, न बल्ले से।
अब उन्हें भी अलविदा कहना चाहिए।
रणजी के परफॉर्मर: टीम इंडिया से कोसों दूर
अभिमन्यु ईश्वरन
169 के औसत से रन बनाए, फिर भी प्लेइंग 11 में मौका नहीं।
तन्मय अग्रवाल
60 के औसत से 615 रन, लेकिन आईपीएल में नहीं खेलते, इसलिए अनदेखा।
यश ढुल
61 के औसत से 367 रन, पर टीम में जगह नहीं।
आईपीएल बनाम रणजी ट्रॉफी
आईपीएल में रन बनाओ, सीधे टीम इंडिया में एंट्री।
रणजी में सालों तक मेहनत करने वालों को कोई पूछता तक नहीं।
रणजी की जरूरत क्यों?
अगर परफॉर्म करने वालों को मौका नहीं मिलता, तो रणजी का क्या फायदा?
टीम में नाम देखकर सिलेक्शन बंद होना चाहिए।
आपका क्या मानना है? क्या रणजी ट्रॉफी का भविष्य खत्म हो रहा है, या इसमें सुधार की जरूरत है? अपनी राय बताएं!
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