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जिसे पानी पिलाने भेजा, उसने फाइनल का हीरो बनकर दिखाया!

जिसे पानी पिलाने भेजा, उसने फाइनल का हीरो बनकर दिखाया!
जिसे पानी पिलाने भेजा, उसने फाइनल का हीरो बनकर दिखाया!

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बेंच गर्म करने और पानी पिलाने वाले देवदत्त पड्डिकल ने घरेलू मैदान पर अपने बल्ले से जवाब देते हुए साबित किया कि वह भारतीय टीम में खेलने के लायक हैं। विजय हजारे ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पड्डिकल ने शानदार 86 रनों की पारी खेली और कर्नाटक को हरियाणा के खिलाफ जीत दिलाकर फाइनल में पहुंचा दिया।

238 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए कर्नाटक की शुरुआत खराब रही। पहले ओवर में ही कप्तान मयंक अग्रवाल पवेलियन लौट गए। मुश्किल हालात में पड्डिकल और रविचंद्रन समरथ ने टीम को संभाला और तीसरे विकेट के लिए 128 रनों की साझेदारी की। पड्डिकल ने अपनी पारी में न केवल धैर्य दिखाया, बल्कि स्पिनरों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाकर 86 रन बनाए। उनका साथ निभाते हुए समरथ ने 76 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली।

कर्नाटक ने 48वें ओवर में जीत दर्ज की और अब फाइनल में उसका सामना विदर्भ और महाराष्ट्र के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा।

ऑस्ट्रेलिया में अपमान, भारत में जवाब

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पड्डिकल को एक टेस्ट मैच में मौका मिला था, लेकिन उसके बाद उन्हें बेंच पर बैठाकर केवल पानी पिलाने का काम सौंपा गया। यह एक बड़े खिलाड़ी के लिए काफी अपमानजनक था। मगर भारत लौटने के बाद पड्डिकल ने अपने प्रदर्शन से यह दिखा दिया कि वह बेंच पर बैठने नहीं, बल्कि मैदान पर खेलने के लिए बने हैं।

"जब टीम मुश्किल में हो और कोई खिलाड़ी वहां से टीम को निकालकर जीत दिलाए, तब उसे ही असली फाइटर कहा जाता है।" पड्डिकल की यह पारी यही साबित करती है। उन्होंने न केवल मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाए, बल्कि अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाकर बड़ा खिलाड़ी बनने का संकेत दिया।

अब कर्नाटक के पास अपना पांचवां विजय हजारे खिताब जीतने का मौका है, और इस सफर में पड्डिकल की भूमिका निर्णायक रहेगी। क्या वह फाइनल में भी ऐसा ही प्रदर्शन कर अपनी टीम को चैंपियन बनाएंगे? यही देखना बाकी है।

धन्यवाद! ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें।

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