मोहम्मद सिराज का चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर होना: प्रदर्शन या राजनीति? |
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए टीम इंडिया का स्क्वाड आते ही भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों में हलचल मच गई। लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद और नंबर वन गेंदबाज मोहम्मद सिराज को स्क्वाड से बाहर कर दिया गया। मोहम्मद सिराज, जिन्होंने 2022 से अब तक वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, अचानक टीम से बाहर क्यों हो गए? यह सवाल हर क्रिकेट फैन के मन में उठ रहा है।
आंकड़े जो साबित करते हैं सिराज का जलवा
आइए, पहले नजर डालते हैं उनके प्रदर्शन के आंकड़ों पर:
2022 से अब तक:
सिराज ने कुल 44 वनडे मैच खेले हैं और 71 विकेट लिए हैं।
उनका औसत 24 और इकॉनमी 5.18 है।
2022 का प्रदर्शन:
15 मैचों में 24 विकेट, इकॉनमी 4.62।
2023 का प्रदर्शन:
25 मैचों में 44 विकेट, इकॉनमी 5.28।
2024 का प्रदर्शन:
केवल 3 मैचों में 3 विकेट, इकॉनमी 6.28।
2022 से 2024 तक मोहम्मद सिराज ने भारतीय गेंदबाजों में सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं। उनके बाद कुलदीप यादव (65 विकेट), मोहम्मद शमी (47 विकेट), और जसप्रीत बुमराह (41 विकेट) आते हैं।
रोहित शर्मा का बयान और विवाद
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहित शर्मा ने सिराज के बारे में कहा कि जब गेंद पुरानी हो जाती है तो सिराज ज्यादा प्रभावी नहीं रहते। उन्होंने सिराज को "नॉट इफेक्टिव" कहा, जो फैंस के लिए चौंकाने वाला था। ऐसा बयान उस खिलाड़ी के लिए जिसने पिछले दो सालों में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को मजबूती दी है, अस्वीकार्य लगता है।
हर्षित राणा का चयन: सेटिंग या परफॉर्मेंस?
सिराज को हटाकर टीम में हर्षित राणा को शामिल किया गया। सवाल उठता है कि क्या यह चयन उनके प्रदर्शन के आधार पर हुआ है?
हर्षित राणा ने अब तक भारतीय टीम के लिए कोई मैच नहीं खेला है।
घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन सिराज की तुलना में कहीं नहीं ठहरता।
हर्षित राणा का टीम में चयन गौतम गंभीर के साथ उनके करीबी संबंधों को लेकर सवाल खड़े कर रहा है।
सिराज के साथ हुआ यह निर्णय सही या गलत?
सिराज का प्रदर्शन यह साफ बताता है कि वह चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए भारतीय टीम का हिस्सा बनने के हकदार थे। लेकिन चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और क्षेत्रीय राजनीति जैसे मुद्दों ने शायद उनके करियर को प्रभावित किया है।
मोहम्मद सिराज के बाहर होने का कारण उनके प्रदर्शन से ज्यादा टीम चयन की राजनीति और कुछ खिलाड़ियों के प्रति पूर्वाग्रह दिखता है। यह एक बड़े सवाल को जन्म देता है—क्या भारतीय क्रिकेट में सिर्फ प्रदर्शन से टीम में जगह मिलती है, या कुछ और फैक्टर भी काम करते हैं?
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